न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा “यह रेलवे की ओर से सेवा की कमी नहीं है. अगर यात्री अपने सामान की रक्षा करने में सक्षम नहीं है तो रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है
अगर आप ट्रेन में यात्रा करते हैं तो ख्याल रहे कि आपके सामान के जिम्मेदार आप खुद हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले ने इस बात को और पुख्ता कर दिया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें रेलवे को 2005 में यात्रा के दौरान चोरी हुए 1 लाख रुपये की राशि यात्री को देने का निर्देश दिया था.