अध्यादेश सरकार द्वारा जारी एक कानूनी आदेश होता है। यह आदेश सामान्यतः विशिष्ट नियंत्रण, निर्देश या प्रशासनिक मुद्दों के संबंध में व्यापक दिशानिर्देश या निर्देश प्रदान करता है। अध्यादेश सरकार द्वारा कानूनों के निर्माण, संशोधन और रद्दीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी साधन हैं।
केंद्र सरकार महकमे के फैसलों को पलट नहीं सकती। इसके बजाय, यह केवल अपने कानूनी अधिकार के तहत अध्यादेशों के माध्यम से उन्हें संशोधित कर सकती है। केंद्र सरकार को कानूनी अधिकार के तहत उच्चतम न्यायालय के फैसलों के खिलाफ अपील करने का अधिकार होता है और उच्चतम न्यायालय को अपनी राय देने का अधिकार होता है। अगर उच्चतम न्यायालय को लगता है कि कोई अध्यादेश या उसका कोई भाग अस्थायी, अनुचित या संविधानविरोधी है, तो वह उसे रद्द कर सकता है या संशोधित कर सकता है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में अधिकारियों के स्थानांतरण और पदोन्नति से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ आप पार्टी की सरकार सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा दायर करेगी। उन्होंने इस कदम को “संविधानविरोधी” और लोकतंत्र के खिलाफ बताया। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को “पलटा” है, जिसमें दिल्ली में चुनी हुई सरकार को नियंत्रण दिया था।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र के खिलाफ दिल्ली सरकार के मस्तिष्क बाधित और दिल्ली सरकार के विरोध में एक पूरे पांच मिनट के लिए भी अधिकार्यों के संबंध मुद्दे में अध्यादेश को न्यायालय में मान्यता नहीं मिलेगी कहा है।
इससे उनका मजबूत विश्वास जताया जा रहा है कि अध्यादेश की कानूनी मान्यता संदिग्ध है और उनकी इच्छा है कि वह इसे न्यायालय में चुनौती दे। यह बयान मुख्यमंत्री केजरीवाल की केंद्र के कार्यों पर असंतुष्टि
िल्ली सरकार के बीच विवाद पर केंद्र को कड़ी आलोचना करने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अध्यादेश को न्यायालय में भी पांच मिनट के लिए स्थायीता नहीं मिलेगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि उनका मजबूत विश्वास है कि अध्यादेश की कानूनी मान्यता संदिग्ध है और उनका इरादा है कि उन्हें इसे न्यायालय में चुनौती देनी है। इस बयान से स्पष्ट होता है कि सीएम केजरीवाल को केंद्र के कार्यों से असंतुष्टि है और उनका संकल्प जताता है कि वे चल रहे एलजी-दिल्ली सरकार विवाद में एक सुखद निपटान के लिए प्रयासरत रहेंगे।