शादी और तलाक की अर्जी: दंपति की शादी 2011 में हुई थी और उनकी एक बेटी है। 2020 में, पत्नी ने ग्वालियर की पारिवारिक अदालत में तलाक की अर्जी दायर की।
• हत्या का दोषी: 2019 में, पति अपने पिता की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा पाई।
• पारिवारिक अदालत का निर्णय: पारिवारिक अदालत ने पत्नी की तलाक की अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि हत्या का दोषी ठहराया जाना क्रूरता नहीं है और पति ने पत्नी के प्रति क्रूरता नहीं की थी।
• उच्च न्यायालय का निर्णय: उच्च न्यायालय ने पारिवारिक अदालत के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि:
o पति का हत्या का दोषी ठहराया जाना और आजीवन कारावास की सजा मानसिक क्रूरता के बराबर है।
o पत्नी के लिए एक ऐसे व्यक्ति के साथ रहना कठिन होगा जो हत्या के आरोप में दोषी है।
o पति के आपराधिक इतिहास के कारण पत्नी और उसकी बेटी की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
• मुकदमे और दोषसिद्धि: पति के खिलाफ दो आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से एक में वह हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया।
• पारिवारिक अदालत का गलत निर्णय: उच्च न्यायालय ने कहा कि पारिवारिक अदालत ने गलत निर्णय लिया था और यह मामला दो साल से अधिक की परित्याग का था।
• मां और बेटी की सुरक्षा: अदालत ने यह भी कहा कि एक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति के साथ बेटी के लिए रहना उसके मानसिक स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं होगा।
• वकील: पत्नी की ओर से अधिवक्ता सुरेश अग्रवाल ने प्रतिनिधित्व किया और पति की ओर से अधिवक्ता राजमणि बंसल ने पैरवी की।
• अंतिम निर्णय: उच्च न्यायालय ने पारिवारिक अदालत के फैसले को खारिज करते हुए विवाह को समाप्त कर दिया और पत्नी को तलाक granted किया।
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