धारा 498(ए) को भारत के उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक करार दे दिया है। जबकि यह बात पूरी तरह गलत है।

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धारा 498A के बारे में विस्तार से:

धारा 498A क्या है?

  • धारा 498A भारतीय दंड संहिता का हिस्सा है और इसका उद्देश्य शादीशुदा महिलाओं को उनके पतियों और ससुरालवालों के द्वारा होने वाली क्रूरता और परेशानी से बचाना है।

धारा 498A के तहत दण्ड:

  • इस धारा के तहत, अगर कोई व्यक्ति शादीशुदा महिला के खिलाफ क्रूरता करता है, तो उसे तीन वर्ष की सजा और जुर्माना का प्रावधान है।

धारा 498A के दुरुपयोग की चिंता:

  • इस धारा के दुरुपयोग की चिंता एक मुद्दा है, क्योंकि कई मामलों में धारा 498A के तहत केस दर्ज करवाए जाते हैं और फिर उन्हें वापस लिया जाता है या खारिज कर दिया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन:

  • भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा के तहत अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और निर्दोष परिवार के सदस्यों के खिलाफ अनुचित गिरफ्तारियों और परेशानियों को रोकने के लिए मार्गदर्शन जारी किए हैं।

धारा 498A के तहत क्रूरता स्थापित करने के लिए सबूत:

  • धारा 498A के तहत क्रूरता स्थापित करने के लिए मानसिक या शारीरिक क्रूरता के स्पष्ट सबूत प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है। इसमें क्रूरता कब, कहां, और कैसे हुई इसके विवरण शामिल होने चाहिए। सामान्य या बेतर्की आरोप इस धारा को लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं होते।

धारा 498A के तहत गलत शिकायतों के परिणाम:

  • गलत शिकायतों के तहत धारा 498A के तहत केस दर्ज करने के परिणाम हो सकते हैं, इसलिए धारा 498A के तहत दर्ज करने से पहले दावों की मान्यता की जाँच करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सारांश:

  • धारा 498A भारत में शादीशुदा महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाई गई है, लेकिन इसके दुरुपयोग की चिंता भी है। सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन के साथ, यह धारा सच्चे दोषियों के खिलाफ होने और निर्दोष परिवार के सदस्यों के खिलाफ अनुचित गिरफ्तारियों को रोकने में मदद कर सकती है।

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