सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीश थे, ने जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के विशेष स्थान को देने वाले संविधान के धारा 370 को रद्द करने के निर्णय पर चुनौती दायर की थी। यह निर्णय, 5 अगस्त 2019 को किया गया था और इसके संवैधानिक स्थिति और स्वायत्तता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव थे। Photo Source – Aaj Tak
संदर्भ:
- धारा 370 का रद्द होना: केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, ने धारा 370 को रद्द करने का अभूतपूर्व कदम उठाया था, जिससे जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता दी जाती थी, जिससे इसे अपना संविधान और निर्णय निर्धारित करने की अनुमति थी, केवल रक्षा, संचार और विदेशी मामलों को छोड़कर।
फैसले के मुख्य बिंदु:
- धारा 370 के रद्द होने की वैधता: न्यायाधीशों ने सरकार के धारा 370 को रद्द करने के निर्णय की संवैधानिक वैधता को स्वीकार किया, जिससे इसका अस्तित्व समाप्त हो गया।
- जम्मू-कश्मीर के भारत से मिलाने पर प्रभाव: अदालत ने जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ मिलाने को मजबूत करने के लिए धारा 370 के रद्द होने को महत्त्वाकांक्षी बताया।
- जम्मू-कश्मीर के लिए निर्देश: अदालत ने जम्मू-कश्मीर में तेजी से तेजी चुनाव आयोजित करने और इसे भारतीय संघ के अंग के रूप में पुनर्गठित करने के निर्देश दिए। यह निर्देश क्षेत्र में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और शासन को सुधारने का उद्देश्य रखते थे।
- धारा 370 की अस्थायी प्रावधानिकता: अदालत ने स्वीकार किया कि धारा 370 की प्रावधानिकता प्रारंभ में एक अस्थायी उपाय था, जो संघर्ष और युद्ध संदिग्ध स्थितियों में लागू किया गया था। इसका रद्द करना क्षेत्र को पूरी तरह से भारत से मिलाने के लिए आवश्यक माना गया।
विभिन्न न्यायाधीशों के दृष्टिकोण:
- जस्टिस संजय किशन कौल: उन्होंने जम्मू-कश्मीर को धीरे-धीरे भारत के अन्य राज्यों से मिलाने का ध्यान दिया और मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए एक सत्य और सुलह आयोग की स्थापना की सिफारिश की।
- मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा: उन्होंने निर्णय की संवैधानिक वैधता को जोर दिया और जाहिर किया कि धारा 370 का अस्थायी प्रावधान समय के साथ हटाया जाना चाहिए था, ताकि जम्मू-कश्मीर का पूरी तरह से भारत से मिलान हो सके।
कानूनी तर्क और प्रक्रिया:
16 दिनों की सुनवाई के दौरान, सरकार को प्रतिनिधित्व करने वाले अटॉर्नी जनरल ने अदालत में धारा 370 को रद्द करने की संवैधानिक वैधता की रक्षा की थी। विभिन्न कानूनी विद्वानों ने विविध मुद्दों पर विचार व्यक्त किया, जैसे कि धारा 370 की रद्दी की सहीत केंद्रशासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर का विभाजन और क्षेत्र में राष्ट्रपति शासन के दौरान की गई कार्रवाई की वैधता।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सरकार के धारा 370 को रद्द करने के निर्णय की संवैधानिक वैधता को स्वीकार करते हुए जम्मू-कश्मीर को भारत संघ के साथ मिलाने के रास्ते को साफ करता है। इसके अतिरिक्त, तेजी से चुनावों और राज्य की पुनर्स्थापना के निर्देश ने क्षेत्र में सामान्यता और शासन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम को दर्शाया।
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